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सूर्य पर राहु का प्रभाव: आध्यात्मिक उन्नति में बाधा? धर्म ज्योतिष विश्लेषण Ego: Power, Rise, And Fall
SattaKiJung की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय दर्शन और ज्योतिष में अहंकार को एक शक्तिशाली बल माना जाता है, जो किसी व्यक्ति को ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है और पतन की ओर भी धकेल सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में, सूर्य को अहंकार का मुख्य कारक माना गया है।
सूर्य आत्मा, तेज, अधिकार और नेतृत्व का प्रतीक है।
जब कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, तो व्यक्ति आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान से परिपूर्ण होता है।
लेकिन, जब सूर्य पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, तो यही आत्म-सम्मान 'अहंकार' में बदल जाता है, जो व्यक्ति की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बन जाता है।
राहु, भ्रम और छल का ग्रह, जब सूर्य के साथ युति करता है (ग्रहण योग), तो व्यक्ति में झूठा अहंकार पैदा होता है।
सिंह राशि में स्थित सूर्य भी व्यक्ति को राजसी स्वभाव और नेतृत्व क्षमता प्रदान करता है, जिससे वे खुद को सर्वश्रेष्ठ मानने लगते हैं और अहंकार का शिकार हो जाते हैं।
ऐसे में व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और धर्म के मार्ग पर चलने में कठिनाई होती है।
अहंकार को नियंत्रित करने और सूर्य के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए, ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं।
नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करना, गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना, और अपने कर्मों के प्रति सचेत रहना अहंकार को कम करने में सहायक हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, भगवान के विभिन्न रूपों की पूजा और तीर्थ यात्राएं मन को शांत करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
- सूर्य पर राहु का प्रभाव अहंकार बढ़ाता है, उन्नति में बाधा डालता है।
- सिंह राशि का सूर्य भी अहंकार का कारण बन सकता है।
- पूजा और दान से अहंकार को नियंत्रित किया जा सकता है।
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Posted on 25 December 2025 | Follow sattakijung.com for the latest updates.
